गुरुवार, 11 नवंबर 2010

कभी तो रात हो जाए .

लीला खाना बनाते बनाते गुनगुना रही थी. तभी वहां से चीख आती है, मेरा हैण्डबेग कहाँ है? जवाब देने को हुई ही थी कि बेटे ने स्वर लगाया . . . माँ सोक्स कहाँ रखे ?? पल्लू और बाल खोंसते हुए दोनों के पास गयी और लो सब मिल गया.

बाय कहा, टिफिन पकड़ाया. एक सांस तसल्ली की ली ही थी कि उधर झाडू, बर्तन, पोंछा, मैले कपडे ..सब चीखने लग गए ! लीला बोली - उफ़ ! कभी तो रात हो जाए, मेरी आँखें भी बोझिल हैं.

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